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Business और जिन्दगीको आसन बनाने का तरीका - 80 20 Rule Principal

Business और जिन्दगीको आसन बनाने के तरीका - 80 20 Rule,Principal


दोस्तों आज हम बात करने वाले हे की किस तरह हम आपने जिन्दगीमे 80 20 Rule principal का उपयोग कर सकते हे जिससे हमें आपने जिन्दगीमे हम जो भी हासिल करना चाहते हे उसको हम हासिल कर सकते हे.

हम आज specially 80 20 Rule principal पर लिखी Richard Koch की किताब ये किताब के कुछ important points पर चर्चा करने वाले हे .की किस तरह हम आपने जिंदगीके 80 % काम को सिर्फ 20% मेहनत में कर सकते हो.

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Business और जिन्दगीको आसन बनाने के तरीका - 80 20 Rule Principal
Image Source:- Pixabay,Google


तो चलिए शुरू करते हे हमारे आज के एस आर्टिकल को.

1.     इस किताब के मुख्य point जिसमे बताया गया हे की ये किताब किस किस के लिए हे.जो कम समय देकर ज्यादा तरक्की करना चाहते हे.
2.     जो लोग कम समय में ही अपना सारा कम ख़तम कर आपने परिवार के साथ समय बिता सके.
3.     और वो business man जो आपने business में कम निवेश में ज्यादा लाभ चाहता हे.

  • 80-20 rule सिधांत को अपना कर जीवन में ख़ुशी और अपने business में प्रॉफिट पाए.


आज कल के हमारी जिन्दगीमे हमारे काम बहुत ही बढ़ गए हे.जब भी आप कोई काम कर रहे होते हे तब आपको एसा लगता हे की उस काम को फटाफट कर आराम करेंगे पर तभी और दो चार काम सामने आ जाते हे.और एसे ही सारा दिन इसी तरह बीतजाता हे.

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ठीक उसी तरह कंपनीज को भी रोज market की बढती हुई. पेचीदगी और उलझनों के साथ लड़ना पड़ता है. बहुत सारे मार्केट, उस से भी ज्यादा प्रोडक्ट और कनज्यूमर लिस्ट इन सब के बीच कंपनियां किसी सर्कस के जोकर की तरह जगलिंग करती रहती हैं.

इस थकाने वाले माहौल में किसी के पास भी समय नहीं होता है. इसलिए ये जानना बहुत जरुरी सा लगता है कि काम के इस भंडार में से आखिर जरुरी काम क्या है ?


इसलिए अगर आप काम करते हैं और उस से मिलने वाले लाभ के बीच असंतुलित से लगते हैं तो यह 80 20 rule principal को अपनायेंगे तो आप अपना काफी समय बचा सकते हैं.और साथ साथ अपने सभी कामों को कर सकते हैं.

इस सिद्धांत को आप अपने व्यक्तिगत जीवन, व्यावसायिक जीवन या अपने बिज़नेस कहीं पर भी अपनी ज़िंदगी में खुशी और अपने बिज़नेस में प्रॉफिट पा सकते हैं.वो भी बड़ी आसानी के साथ.

आपके result यानि output का ज्यादातर हिस्सा आपके काम यानि input के एक छोटेसे हिस्से पर ही निर्भर होता हे.

आपने बहुत बार ये आपने साथ ही घडते देखा होंगा की आपने आपका कोई काम जेसे कोई project या फिर collage का कोई assignment या और कुछ का ज्यादातर काम उसके dedline के बस कुछ समय ही पूरा किया  होंगा.जब आपके पास उस काम को करने के लिए वक्त बहुत ही कम बचा था.

शुरुवाती समय में आपने जितना काम किया होंगा उससे ज्यादातर काम आपमें उसके हिसाब से बहुत कम समय में पूरा कर दिया.
में ये दावे के साथ कह सकता हु की सब के साथएसा हुआ होंगा.

ईसी तरह आप अगर कोई business man हे तो आपने भी ये देखा होंगा की आपके product लिस्ट में से सिर्फ 20% ही एसे होंगे जो आपके profit का 80% हिस्सा बनाते होंगे.इसी तरह और एक 80 20 rule example ले लीजिये सड़क दुर्घटनाओ का की इसमे 20% लापरवाह लोग हे जोकि 80% दुर्घटनाओ के शिकार होते हे.

क्यूंकि बाकि के 80%लोग तो गाड़ी ध्यान से ही चला रहे होते हे ना ,क्यों सही कहा या गलत comment में जरुर बताईयेगा.

इसी 20% काम से 80% profit निकालनेकी ट्रिक को 80-20 rule principal कहा जाता हे. अब शायद आपके मन में सवाल आया होंगा की एस ratio में एतना असंतुलन क्यों हे ?

Business और जिन्दगीको आसन बनाने के तरीका - 80 20 Rule Principal
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एसा इसलिए की हमारे द्वारा किए गए सभी कामों का हमारे रिजल्ट पर समान असर नहीं पड़ता है. जबकि हमारे काम का बस एक छोटा सा हिस्सा हमारे पूरे रिजल्ट के लिए जिम्मेदार होता है.


ऐसी ज़रूरी नहीं है की हर बार हर काम का ratio बिलकुल. 80-20 आये ये तो इस इस ट्रिक को समजाने का एक सरल तरीका है, जैसे 1997 की एक स्टडी में देखा गया की किसी theater में 300 फिल्मे लगी जिनमे से मात्र 4 फिल्मो को मिलकर उनकी टिकिट सेल का 80% बन गया.

ईसी तह ये principal हमारे जिंदगीके किसी भी समय और छेत्र में काम आ सकता हे.

  • इतनी आसानी से आपका दिमाग इस 80 20 Principal (Rule) को नहीं अपनाता क्यूंकि उसे बैलेंस की आदत है.


ज्यादातर लोगों का मानना ​​है कि दुनिया की संतुलन से चलती है. पर लेखक कहता है की सच तो ये हैं कि ये पूरी दुनिया खुद ही बहुत असंतुलित है.

जैसे की English की भाषा को ही ले लीजिये सर आईज्ञक पिटमैन (sir isaac pitman) के अनुसार इंग्लिश के अनगिनत शब्द में केवल 700 शब्द ऐसे हैं जो हमारी रोज की बोलचाल का 70 से 80% हिस्सा बनाते हैं.

अब सवाल ये उठता है की ये असंतुलन कहाँ से आता है

ये असंतुलन आता है इस दुनिया के फीडबैक लूप से जो की एक छोटे से अंतर को भी हर साइकिल के साथ बढ़ते जाता है. 

इसे और अच्छी तरह समझने के लिए हम एक उदहारण को देखते हैं, जब आप भी कोई एक्वेरियम (aquarium)लाते है उसमें भी गोल्ड फिश होती हैं. वो सब लगभग एक ही आकार की होती हैं.

लेकिन जैसे वो मछलियाँ बड़ी हो जाती है उनके आकर में अंतर आने लगता है. ऐसा इसलिए कि अगर कोई मछली दूसरी मछली से थोड़ी सी भी बड़ी होंगी तो वह उस बात का फायदा उठाकर खाने को जल्दी हासिल कर लेगी.

और थोड़ी और बड़ी हो जाएगी ऐसा करते करते हर साइकिल में छोटी और बड़ी मछली के बीच का अंतर बढ़ जाएगा

इसलिए असंतुलन तो एक कुदरती घटना हे,लेकिन हमारा दिमाग एस बात को गलत मानता हे,जेसे की अगर समाज का 80% पैसा समाज के केवल 20% लोगो के पास हे.

तो सब इसे social injustice यानि की सामाजिक अन्याय कहेंगे पर यही सच्चाई हे और एसा हो भी रहा हे.इसलिए अपनी इसी आदत के कारन हमारा दिमाग मानता हे की हर कम और reward के बिच में 1:1 का ratio होना चाहिए जबकि एसा होता नहीं हे.


Conclusion  निष्कर्ष.


आप इस 80 20 rule principal को जीवन के किसी भी शेत्र में उपयोग कर सकते हे क्योकि ज्यादातर हमारा 20% input या एफेर्ट ही हमारे 80% output या result के लिए जिम्मेदार होता हे.

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इसलिए हम जो कम ज्यादा जरुरी नहीं हे उसमे 80%कामो पर से अपना ध्यान हटा के उन 20%बेहद ही जरुरी कामो पर लगा सकते हे.जिससे हमें काफी फायदा होंगा.  








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